How happy is he born or taught
That serveth not another’s will;
Whose armour is his honest thought,
And simple truth his utmost skill !
Whose passions not his masters are,
Whose soul is still prepared for death;
Untied unto the world with care
Of princely love or vulgar breath;
Who hath his life from rumours freed,
Whose conscience is his strong retreat;
Whose state can neither flatterers feed,
Nor ruins make oppressors great;
Who envies none whom chance doth raise
Nor vice; who never understood
How deepest wounds are given with praise;
Nor rules of state, but rules of good;
Who God doth late and early pray
More of his grace than gifts to lend;
Who entertains the day harmless day
With a well – chosen book or friends;
This man is free from servile bands
Of hope to rise, or fear to fall;
Lord of himself, though not of lands,
And having nothing, he hath all.
-: कविता का हिंदी अनुवाद :-
Stanza 1. जन्म या शिक्षा से वह व्यक्ति कितना प्रसन्न है जो दूसरों की इच्छा के अनुसार कार्य नहीं करता ।
जिसका ईमानदारी का विचार ही उसका सुरक्षा कवच होता है तथा साधारण सच्चाई ही इसकी सर्वोत्तम योग्यता होती है।
Stanza 2. जिसकी इच्छाएं उसकी मालिक न होती हो, जिसकी आत्मा सदैव मृत्यु के लिए तैयार रहती हो,
जिसे न तो संसार की परवाह हो और न ही राजा के स्नेह की चिंता हो और न ही साधारण लोगों के आलोचना की चिंता हो।
Stanza 3.जो अपने जीवन को अफवाहों से मुक्त रखता हो,
जिसकी अंतरात्मा ही उसकी मजबूत शरण स्थली हो,
जिसकी अवस्था न तो चापलूसी करने वालों का पालन पोषण कर सकती है और न ही उसका विनाश विनाश करने वालों को महान बना सकता है।
Stanza 4. वह उन किसी से भी ईष्या न करता हो जो भाग्य से विकास करते हैं
और न हीं बुराई करता हो, जो कभी भी न समझ पाए की प्रशंसा के माध्यम से कितने बड़े गहरे घाव दिए जाते हैं, जो राज्य के नियमों को न मानता हो बल्कि अच्छाई के नियमों को मानता हो।
Stanza 5. जो कि ईश्वर की सुबह शाम प्रार्थना करता हूं उससे उपहार प्राप्ति की अपेक्षा अधिक कृपा प्राप्ति के लिए, जोकि दिन को बगैर क्षति के एक अच्छी प्रकार से चुने गए किताब अथवा मित्र के साथ व्यतीत करता हो।
Stanza 6. यह व्यक्ति दासता के बंधन से मुक्त होता है इसे न तो उठने की इच्छा होती है और न हीं गिरने का भय होता है, यह स्वयं का मालिक होता है, यद्यपि संसार का मालिक न हो और उसके पास कुछ भी न होते हुए सब कुछ होता है।