My Struggle For An Education
My Struggle For An Education
Hindi Explanation Of The Lesson ‘My Struggle For An Education’
One day, while at work in the coal mine, I happened to over-hear two miners talking about a great school for coloured people somewhere in Virginia. This was the first time that I had ever heard anything about any kind of school or collage that was more pretentious than the little coloured school in our town.
एक दिन जब काम पर कोयले की खान में, मैंने खान में काम करने वाले दो लोगों को चुपके से एक बड़ी स्कूल के बारे में बात करते हुए सुना जो वर्जीनिया में कहीं पर काले लोगों के लिए था। यह पहला अवसर था कि मैंने कभी किसी प्रकार के कॉलेज अथवा स्कूल के बारे में कुछ सुना जोकि हमारे नगर के छोटे काले लोगों के स्कूल की अपेक्षा अधिक आकर्षक था।
As they went on describing the school, it seemed to me that it must be the greatest place on earth. Not even Heaven presented more attractions for me at that time than did the Hampton Normal and Agriculture Institute in Virginia, about which these men were talking. I resolved at once to go to that school, although I had no idea where it was, or how many miles away, or how I was going to reach it. I was on fire constantly with one ambition, and that was to go to Hampton. This thought was with me day and night.
जैसी जैसी वे उसी स्कूल का वर्णन करना जारी रखें या मुझको प्रतीत हुआ कि इसे अवश्य ही पृथ्वी पर सबसे अच्छा स्थान होना चाहिए। उस समय स्वर्ग भी मुझे उतना अधिक आकर्षित नहीं किया जितना कि वर्जीनिया में हैंपटन नॉर्मल एग्रीकल्चरल इंस्टीट्यूट ने किया, जिसके बारे में यह व्यक्ति बातें कर रहे थे। मैं तुरंत उस स्कूल को जाने का दृड़ निश्चित किया यद्यपि मेरे पास भी विचार नहीं था कि यह कहां था अथवा कितना मील दूर था अथवा इसे पहुंचने के लिए मुझे कितना जाना था। मैं लगातार रूप से एक अभिलाषा के साथ उत्तेजित था और वह था हैंपटन जाने का। यह विचार मेरे साथ दिन और रात बना रहा।
In the fall of 1872, I determined to make an effort to get there. My mother was troubled with a grave fear that I was starting out on a “wild-goose chase”. At any rate, I only a half-hearted consent from her that I might start. I had very little money with which to buy clothes and pay my travelling expenses. My brother John helped me all that he could; but, of course, that was not a great deal.
अट्ठारह सौ बहत्तर के पतझड़ के मौसम में मैं वहां पहुंचने के लिए एक प्रयास करने का दृढ़ निश्चय किया। मेरी मां एक गंभीर भय से परेशान थी कि मैं निष्सफल प्रयास के लिए शुरुआत कर रहा था। जैसे तैसे मैंने उनसे केवल आधे अधूरे मन से अनुमति प्राप्त कर ली कि मैं जा सकता था। मेरे पास बहुत कम धन था जिससे मुझे अपनी यात्रा के खर्चों को अदा करना था और कपड़े खरीदने थे। मेरा भाई जान मेरी पूरी मदद किया जो कि वह कर सका। लेकिन, वह बिल्कुल भी पर्याप्त ना था।
Finally the great day came, and I started for Hampton. I had only a small cheap satchel that contained the few articles of clothing I could get. My mother at the time was rather weak and broken in health. I hardly expected to see her again, and thus our parting was all the more sad. She, however, was very brave through it all.
अंततः हुआ महान दिन आया और मैंने हैंपटन के लिए शुरुआत कर दी ।मेरे पास केवल एक छोटा सस्ता बैग था जो कि कपड़े के कुछ वस्तुओं को रखा हुआ था जो कि मैं प्राप्त कर सका थ। मेरी मां वास्तव में उस समय कमजोर हो गई थी और उनका स्वास्थ्य गिर गया था। मैंने मुश्किल से उन्हें पुनः देखने की आशा की और इस प्रकार हमारी विदाई और अधिक दुख भरी हो गई। फिर भी वह इतना सब होने पर बहुत बहादुर थी।
The distance from Malden to Hampton is about five hundred miles. By walking, begging rides both in wagons and in the cars, in some way, after a number of days, I reached the city of Richmond, Virginia, about eighty-two miles from Hampton. When I reached there, tired, hungry and dirty, it was late in the night.
मालदेन से हैंपटन तक की दूरी लगभग 500 मील है। चलते हुए, कारों तथा डिब्बों दोनों में लिफ्ट मांगते हुए कुछ रास्ते में कुछ दिनों के बाद मैं रिचमंड के शहर वर्जीनिया पहुंच गया जो कि हैमटन से लगभग 82 मील दूर था। जब मैं वहां थका हुआ भूखा और मैला कुचैला पहुंचा तो बहुत रात हो चुकी थी।
I had never been in a large city, and this rather added my misery. When I reached Richmond, I was completely out of money. I had not a single acquaintance in the place; and, being unused to city ways, I did not know where to go. I asked at several places for lodging, but they all wanted money, and that was what I did not have. Knowing nothing else better to do, I walked the streets.
मैं कभी भी एक बड़े शहर को नहीं गया और यह वास्तव में मेरी परेशानी को बढ़ा दिया जब मैं रिचमंड पहुंचा मेरे पास बिल्कुल भी धन न था उस स्थान में मेरा एक भी परिचित ना था तथा शहर के रास्तों को अनजान होते हुए मैं नहीं जान पाया कि मैं कहां जाऊं। मैंने कई स्थानों पर ठहरने के लिए पूछा लेकिन वे सभी धन चाहते थे और वह वहीं चीज था जो कि मेरे पास हां नहीं। इससे अधिक अच्छा न कर पाते हुए जानकर मैं सड़कों पर चलने लगा।
I must have walked the streets till after midnight. At last I became so exhausted that I could walk no longer. I was tired, I was hungry, I was everything but discouraged. Just about the time when I reached extreme physical exhaustion, I came upon a portion of a street where the broad sidewalk was considerably elevated. I waited for a few minutes till I was sure that no passer-by could see me, and then crept under the side walk and lay for the night on the ground, with my satchel of clothing for a pillow. Nearly all night I could hear the tramp of feet over my head.
मैं अवश्य ही उन सड़कों पर मध्यरात्रि के बाद तक चला। अंत में मैं इतना थका हुआ हो गया कि मैं और लंबा नहीं चल सकता था।मैं थका हुआ था मैं भूखा था मैं सब कुछ था लेकिन हिम्मत नहीं हारा था। ठीक उस समय जब मुझे अत्यधिक शारीरिक थकान हो गई। मैं सड़क के एक भाग के ऊपर आया जहां की चौड़ा फुटपाथ अत्यधिक उठा हुआ था मैंने कुछ मिनटों के लिए प्रतीक्षा किया आश्वस्त हो जाने तक की कोई भी राहगीर मुझे देख नहीं सकता था और तब मैं उस फुटपाथ के नीचे सरक गया और उस रात्रि के लिए भूमि पर लेट गया, अपने कपड़े वाले छोटे बैग के साथ जो कि तकिए का काम कर रहा था। लगभग पूरी रात्रि मैं अपने सिर के ऊपर पैरों के चलने की आवाज को सुन सकता था।
The next morning I found myself somewhat refreshed, but I was extremely hungry. As soon as it became light enough for me to see my surroundings, I noticed that I was near a large ship. It seemed to be unloading a cargo of pig iron. I went at once to the vessel and asked the captain to permit me to help unload the vessel in order to get money for food. The captain, a white man, who seemed to be kind-hearted, consented. I worked long enough to earn money for my breakfast; and it seems to me, as I remembered it now, to have been about the best breakfast that I have ever eaten.
अगली सुबह मैंने अपने आप को कुछ कुछ तरोताजा पाया लेकिन, मैं अत्यधिक भूखा था। जो ही प्रकाश मेरे चारों तरफ के वातावरण को देखने के लिए पर्याप्त हो गया मैंने ध्यान दिया कि मैं एक बड़े पानी के जहाज के निकट था। यह कच्चे लोहे के कार्गो को खाली करता हुआ प्रतीत हुआ। मैं तुरंत उसे जहाज के पास गया कप्तान से उस जहाज को खाली करने में मदद करने के लिए अनुमति लेने को, भोजन के लिए धन प्राप्त करने के उद्देश्य से। वह कप्तान, एक गोरा व्यक्ति, जोकि दयालु ह्रदय का प्रतीत हुआ अनुमति दे दिया। मैंने अपने सुबह के भोजन के लिए धन कमाने के लिए काफी लंबा कार्य किया। और मुझको प्रतीत होता है जैसा कि मुझे अब भी याद है सबसे अच्छा सुबह का नाश्ता था जो कि अब तक मैंने खाया है।
My work pleased the captain so well that he told me I could continue working for a small amount per day. This I was very glad to do. I continued working on this vessel for a number of days. After buying food with my small wages there was not much left to pay my way to Hampton. In order to economize in every way possible, I continued to sleep under the sidewalk.
मेरा कार्य उस कप्तान को इतना पसंद आया कि उसने मुझसे कहा कि मैं छोटी सी धनराशि के लिए प्रतिदिन कार्य करना जारी रख सकता था।यह मुझे बहुत प्रसन्न करने वाली बात थी। मैं उस जहाज पर कई दिनों के लिए कार्य करना जारी रखा। अपनी छोटी सी कमाई से भोजन खरीदने के बाद इतना अधिक नहीं बचता था कि वह मेरे हैंपटन के मार्ग को पहुंचा दे। हर संभावित तरीके से धन बचाने के उद्देश्य से मैं फुटपाथ के नीचे सोना जारी रखा।
When I had saved enough money with which to reach Hampton, I thanked the captain of the vessel for his kindness, and started again. Without any unusual occurrence I reached Hampton, with a surplus of exactly fifty cents with which to begin my education. The first sight of the large, three-storey brick school building seemed to have rewarded me for all that I had undergone in order to reach the place. The sight of it seemed to give me a new life.
जब मैं ने पर्याप्त धन सुरक्षित कर लिया जिससे कि मैं हैंपटन पहुंच सकूं। मैंने उस जहाज के कप्तान को उसकी दयालुता के लिए धन्यवाद दिया और पुणे शुरुआत कर दी। बिना किसी असाधारण घटना की मेहक बटन पहुंच गया, ठीक आवश्यकता से अधिक 50 सेंट के साथ जिससे कि मुझे अपनी शिक्षा शुरू करनी थी। उस विशाल तीन मंजिला ईट के स्कूल के इमारत का पहला दृश्य मुझे उन सभी के लिए पुरस्कृत करता हुआ प्रतीत हुआ जो कि मैं उस स्थान पर पहुंचने के उद्देश्य से सहन किया था। इसका दृश्य मुझे नया जीवन देता हुआ प्रतीत हुआ।
As soon as possible after reaching the grounds of the Hampton Institute, I presented myself before the head teacher for assignment to a class. Having been so long without proper food, a bath, a change of clothing, I did not, of course, make a very favourable impression upon her. I could see at once that there were doubts in her mind about the wisdom of admitting me as a student. For some time she did not refuse to admit me, neither did she decide in my favour. I continued to linger about her, and to impress her in all the ways I could with my worthiness. In the meantime I saw her admitting other students, and that added greatly to my discomfort. I felt, deep down in my heart, that I could do as well as they, if I could only get a chance to show what was in me.
हैंपटन इंस्टिट्यूट की भूमि पर पहुंचने के बाद जो ही संभव हुआ मैंने अपने आपको एक कक्षा में प्रवेश के लिए उस मुख्य अध्यापिका के समक्ष प्रस्तुत किया । इतने लंबे समय तक बिना उचित भोजन के, स्नान के और बगैर कपड़े बदले बिल्कुल मैं उनके ऊपर एक अनुकूल प्रभाव नहीं बना सका। मैं तुरंत देख सकता था कि मुझे एक विद्यार्थी के रूप में प्रवेश दे देने के बारे में उनके मन में संदेह था। कुछ समय के लिए उन्होंने न तो मुझे प्रवेश देने से इनकार किया और न ही उन्होंने मेरे पक्ष में निर्णय लिया। मैं लगातार रूप से उनके पास रुकना जारी रखा और उन्हें हर तरीके से प्रभावित करना भी जारी रखा जो कि मैं अपनी योग्यता से कर सका। दोपहर के समय मैं नहीं उन्हें दूसरे विद्यार्थियों को प्रवेश देते हुए देखा और यह अत्यधिक मेरी बेचैनी को बढ़ा । मैंने अपने मन में गहरी निराशा को महसूस किया कि मैं भी उतना अच्छा कर सकता था जितना कि वे केवल मुझे एक अवसर मिल सका होता देखा देने को कि मेरे अंदर क्या था।
After some hours had passed, the head teacher said to me, “The adjoining recitation room needs sweeping. Take the broom and sweep it.”
कुछ घंटों के गुजर जाने के बाद उस मुख्य अध्यापिका ने मुझसे कहा,” जुड़े हुए संगीत कछ को साफ सफाई की आवश्यकता है इस झाड़ू को लो और साफ कर दो।”
It occurred to me at once that here was my chance. Never did I receive an order with more delight.
मुझे तुरंत लगा कि यहां मेरा अवसर था। मैंने कभी भी इससे पहले इतनी प्रसन्नता से आज्ञा का स्वीकार नहीं किया था।
I swept the recitation room three times, then I got a dusting cloth, and I dusted it four times. All the woodwork around the walls, every bench, table, and desk, I went over four times with my dusting cloth. Besides, every piece of furniture had been moved and every closet and corner in the room had been thoroughly cleaned. I had the feeling that in a large measure my future depended upon the impression I made upon the teacher in the cleaning of the room. When I was through, I reported to the head teacher. She was a “Yankee” woman who knew just where to look for dirt. She went into the room and inspected the floor and closets; then she took her handkerchief and rubbed it on the woodwork about the walls and over the table and benches. When she was unable to find one bit of dirt on the floor or a particle of dust on any of the furniture, she quietly remarked, “I guess you will do to enter this institution.”
मैंने उस संगीत कक्ष को तीन बार साफ किया तब मैंने धूल साफ करने वाले कपड़े को लिया और इससे चार बार धूल साफ किया। दीवार के चारों तरफ सभी लकड़ी की चीजों जैसे प्रत्येक बेंच, टेबल और डेस्क को मैंने धूल साफ करने वाले कपड़े से चार बार साफ किया। इसके अतिरिक्त मैंने प्रत्येक लकड़ी के चीजों और प्रत्येक दीवार में लगी अलमारी तथा कमरे के प्रत्येक कोने को पूरी तरह से साफ किया। मैं महसूस कर रहा था की अत्यधिक मात्रा में मेरा भविष्य इसी प्रभाव के ऊपर निर्भर था जो कि मैंने उस कमरे की सफाई करके उस अध्यापिका के ऊपर बनाया। जब मैंने साफ कर लिया तो मैंने उस मुख्य अध्यापिका को सूचित। वह एक यंकी महिला थी जोकि जानती थी कि गंदगी के लिए ठीक कहां देखा जाए। वह कमरे में गई और दीवार में लगी आलमारीयों तथा फर्श का निरीक्षण की, और तब वह अपने रुमाल को बाहर ली तथा इसे दीवाल के आसपास के लकड़ी के चीजों और प्रत्येक टेबल तथा ब्रंचों के ऊपर रगड़ी। जब वह धूल के कण को भी पा सकने में असफल हो गई तो उसने अत्यधिक धीरे से कहा मुझे लगता है तुम इस संस्थान में प्रवेश करोगे।
I was one of the happiest souls on earth. The sweeping of that room was my college examination. I have passed several examinations since then, but I have always felt that this was the best one I ever passed……..
मैं पृथ्वी पर सबसे प्रसन्न चित्त व्यक्तियों में से एक था। उस कमरे की सफाई करना मेरे कॉलेज की परीक्षा थी । तब से मैंने अनेक परीक्षाओं को पास किया है लेकिन मैंने सदैव महसूस किया है कि वह सबसे अच्छा था जो कि मैंने पास किए हैं ….
Important Explanations with Reference to the Context of the lesson “My Struggle For An Education”
1. I resolved at once ………. day and night.
Reference – These lines have been taken from the lesson “My Struggle For An Education” written by Brooker T. Washington.
Context – In these lines the writer tells us what was his feelings after hearing about the great school in the coal mine at work.
Explanation – The writer at once determined to go to that school. But has a lot of problems. He did not know the city where the school was situated. He did not know the distance of that city from his home town. He did not even know how to go to that city. Even then he felt a very strong desire to join that school for studies. Day and night the desire was inspiring him to leave his home and reach Hampton.
2. I was one of ………. I ever passed.
Reference – These lines have been taken from the lesson “My Struggle For An Education” written by Brooker T. Washington.
Context – In these lines the writer expresses his inner happiness when he heard the words of the head teacher.
Explanation – When the writer got permission to join the Hampton Normal and Agricultural Institute, he was very happy. He felt that he was the happiest man in the world. The sweeping of the recitation room was in fact his admission test. His future depended on it. During his student life, the writer had passed many examinations, but none of them was as important as the sweeping examination of the Hampton school. The writer regards it as the best examination, which he passed in his life.
Important Question Answer of the lesson “My Struggle For An Education”
Qu. 1 Where was the school for coloured people situated?
Ans. The school for coloured people was situated at Hampton in Virginia.
Qu. 2 What was the full name of the school?
Ans. The full name of the school was the Hampton Normal and Agricultural Institute.
Qu. 3 Why was the author sad on leaving his mother ?
Ans. The author’s mother was very weak and sick. He had no hope to see her again. Therefore he was sad at the time of leaving his mother.
Qu. 4. What was the author’s single ambition?
Ans. The author’s single ambition was to go to Hampton and join the Hampton Normal and Agricultural Institute.
Qu. 5 Why was the writer delighted when the head teacher asked him to sweep the room?
Ans. The writer was delighted because it gave him a chance to show his worth for admission to the school.
Qu. 6 What was the author’s mother afraid of ?
Ans. The author’s mother was afraid of that her son was going out to join a distant school with very little money.
Qu. 7 How and when did Brooker T. Washington reach Richmond?
Ans. Brooker T. Washington reached Richmond late in night by walking and also by begging rides in wagons and in the cars.
Qu. 8 What gave a new lift to the writer ?
Ans. The first sight of the large, three-storey brick school building gave a new life to the writer.
Important fill in the blank questions of the lesson “My Struggle For An Education”
Fill in the blanks in the following sentences selecting suitable words from the list given below :
(half-hearted, overheard, exhausted, struggle, undergo)
- The writer had to struggle hard for good education.
- The author had to undergo great hardship in Richmond.
- The writer overheard two miners talking about a good school.
- After playing the match we sat exhausted to relax.
- Ravindra could not get first division because his preparation was only half-hearted.