The Lost Child Hindi Explanation
The Lost Child Hindi Explanation
The Lost Child – Mulk Raj Anand
It was the ………………… life and laughter.
बसंत का त्यौहार था। तंग गली गलियारों की शीतल छांव से नए भड़कीले कपड़े पहने जनसमुदाय निकलता दिखाई पड़ा। कुछ पैदल चल रहे थे। कुछ घोड़ों पर सवार थे। कुछ बैठे हुए ले जाए जा रहे थे बांस पर और बैल गाड़ियों में। एक छोटा बच्चा अपने पिता के टांगों के बीच, जीवन व हास्य से भरपूर, दौड़ा जा रहा था।
” Come, child, come …………… their eyes.
“आ,बच्चे आ,” उसके माता-पिता ने पुकारा, जबकी वह पीछे छूट गया था आकर्षित होकर दुकानों के खिलौने से जो कि रास्ते में लाइन से लगी थी। वह अपने माता-पिता की ओर लपका। उसके पांव उनकी पुकार के प्रति आज्ञाकारी थे। उसकी आंखें अभी भी पीछे छूटते खिलौनों पर टिकी थी। जब वह वहां आया जहां वे उसकी प्रतीक्षा में रुक गए थे, तब वह अपने हृदय की इच्छा को दबा नहीं पाया, तब भी जबकि वह उनकी आंखों की पुरानी, ठंडी मनाही की घूर को अच्छी तरह जानता था।
” I want that toy ………….. ever land.
“मुझे वह खिलौना चाहिए,” उसने निवेदन किया। उसके पिता ने अपने परिचित क्रूर शासक के सामान ढंग से उसे लाल आंखों से देखा। उसकी मां जो कि दिन की मुक्त आत्मा द्वारा द्रवित थी, वे नर्म थी और, उसे अपनी उंगली पकडाते हुए, बोली, ” देखो बच्चे, तेरे सामने क्या है¡” यह फूलों से भरा सरसों का खेत था। पिघलें सोने के जैसा पीला जबकि यह समतल धरातल पर मीलों और मीलों फैला था।
A group of dragon-flies …………….. to the footpath.”
टिडियों का एक दल किसी अकेली काली मधुमक्खी की या फूलों से मधु की तलाश में लगी किसी तितली की उड़ान को काटते हुए अपने चमकीले रंग के पंखों पर शोर करते हुए उड़े जा रहे थे। बच्चे ने अपनी एकटक दृष्टि से हवा में इनका पीछा तब किया जब तक कि उनमें से एक ने अपने पंख स्थिर नहीं कर लिया और टिक नहीं गई, और उसने इसे पकड़ने की कोशिश की। लेकिन यह जब उसने उसे अपने हाथों से बस पकड़ ही लिया था, कि यह पंख हिलाते व फड़फडाते ऊपर हवा में चली गई। तब उसकी माता ने उसे चेतावनी भरी पुकार दी – “आ, बच्चे, आ पगडंडी पर आ।”
He ran towards ………….. towards them.
वह प्रसन्नता पूर्वक अपने माता-पिता की ओर दौड़ा और कुछ देर तक उनसे सेट कर चलने लगा, तो भी पगडंडी के किनारे जो कि भारी संख्या में धूप का आनंद लेने के लिए तो छोटे कीड़े मकोड़े बाहर आए थे, उनसे आकर्षित होकर शीघ्र पीछे छूट गया। “आ, बच्चे आ!” उसके माता-पिता ने पेड़ों के एक झुंड की छाया से पुकारा जहां वे एक कुएं की जगत पर बैठ गए थे। वह उनकी ओर दौड़ गया।
A shower of young ………….. hands.
छोटे फूलों की वर्षा उस बच्चे पर हुई जैसे ही वह पेड़ों के झुंड में दाखिल हुआ, और, अपने माता-पिता को भूलकर उसने बरसती पंखुड़ियों को अपने हाथों में इकट्ठा करना शुरू कर दिया। लेकिन देखो! उसने फाख्ताओं का कूकना सुना और अपने माता-पिता की ओर चिल्लाते हुए दौड़ गया, फाख्ता! फाख्ता! बरसती पंखुड़ियां उसके भूले हाथों से गिर गए।
“Come, child, come! ” they …………. was entering.
“आ, बच्चे, आ! ” उन्होंने बच्चे को पुकारा, जो कि अब बरगद के पेड़ के चारों और गोल गोल उछल कूद करता दौड़ रहा था, और उसको साथ लेकर उन्होंने तंग लहरदार पगडंडी को पकड़ा जो कि सरसों के खेत से मेले की ओर जाती थी।
जब भी गांव के पास पहुंचे, तो वह बच्चा अन्य अनेक पगडंडीयां देख सकता था, जो की भारी भीड़ से भरी थी, जो कि मेले के भंवन की ओर जा रहे थे और उसने तुरंत अपने को संसार के उस अस्तव्यस्तता की ओर आकर्षित अनुभूत किया जिसमें प्रविष्ट हो रहा था।
A sweetmeat seller …………. moved on.
एक मिठाई बेचने वाले ने चिल्ला कर कहा, “गुलाब-जामुन, रसगुल्ला, बर्फी, जलेबी,” प्रवेश द्वार के कोने से और जो सजाकर लगाई गई अनेक रंगों की मिठाईयां जिन्हें सोने और चांदी के लोगों से सजाया गया था, उसके नीचे उसके थड़े पर भीड़ जमा थी। लड़के ने खुली आंखों निहारा और उसका मुंह बर्फी के लिए पानी से भर गया जो कि उसकी प्रिय मिठाई थी। “मुझे वह बर्फी चाहिए” वह धीरे से फुसफुसाया। लेकिन जब उसने प्रार्थना की तो वह आधे मन से जानता था कि मेरी प्रार्थना पर ध्यान नहीं दिया जाएगा क्योंकि उसके माता-पिता कहेंगे कि तू भुक्कड़ है। इसलिए बिना उत्तर की प्रतीक्षा आगे बढ़ गया।
A flower-seller ………………. moved on.
एक पुष्प विक्रेता ने आवाज लगाई, “गुलमोहर की माला, गुलमोहर की माला!” बच्चा अति सम्मोहकता से आकर्षित प्रतीक हुआ। वह टोकरी की ओर गया जहां फूलों का ढेर लगा था और आधे मन से बुदबुदाया, “मुझे वह माला चाहिए।” लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि मेरे माता-पिता मुझे उन फूलों को खरीदने से मना कर देंगे क्योंकि वह कहेंगे घटिया है इसलिए बिना उत्तर की प्रतीक्षा की है वह आगे बढ़ गया।
A man stood ……………. on farther.
एक आदमी एक डंडे को जिससे पीले, लाल, हरे, बैगनी गुब्बारे उड़ रहे थे पकड़े खड़ा था। बच्चा उनके रेशमी रंगों के इंद्रधनुषी वैभव से उत्तेजित हो गया और वह उन सब को लेने की अति उत्सुक इच्छा से भर गया। लेकिन वह अच्छी तरह जानता था कि मेरे माता-पिता मुझे कभी गुब्बारे खरीदकर नहीं देंगे क्योंकि वें कहेंगे कि क्या तेरी उम्र अब ऐसे खिलौनों से खेलने की रह गई है। इसलिए वह आगे बढ़ गया।
A snake – charmer ………….. proceeded farther.
एक सपेरा एक सांप के आगे बीन बजा रहा था जो एक कटोरी में कुंडली मारकर बैठा था, उसका सिर किसी हंस की गर्दन की तरह मनोहर झुकाव में उठा हुआ था, जबकि संगीत उसके अदृश्य कानों में अदृश्य झड़ने की हल्की लहर की तरह जा रहा था। बच्चा सपेरे की ओर गया। लेकिन यह जानकर कि मेरे माता-पिता ने ऐसा बेसुरा संगीत जैसा कि सपेरा बजा रहा था, सुनने से मना किया हुआ था, वह आगे बढ़ गया।
There was a roundabout ……….. sign of them.
एक झूला पूरे जोरों पर था । पुरुष, स्त्रियों और बच्चे गोल-गोल गति में घूम रहे थे , और ठहाकेदार हंसी से चीख- चिल्ला रहे थे। बच्चा उन्हें उत्सुकतापूर्वक देखता रहा और तब उसने दृढ़ प्रार्थना की, “मुझे झूले पर बैठना है, कृपया पिताजी माताजी।” कोई उत्तर नहीं मिला। वह अपने माता पिता को देखने के लिए पलटा। वे वहां नहीं थे, उसके सामने। दोनों तरफ देखने के लिए पलटा। वे वहां नहीं थे। उसने पीछे देखा। उनका कोई चिन्ह नहीं था।
A full deep cry ……………. became muddy.
उसके सूखे गले से एक भरपूर, गहरी चीख निकाली और अपने शरीर को एक अचानक झटका देकर वह जहां खड़ा था वहां से दौड़ा, सचमुच डरकर चीखते हुए, “मां, पिताजी ।” उसकी आंखों से आंसू लुढ़क पड़े, गरम और भरपूर उसका भीगा हुआ चेहरा डर से कांप रहा था। बुरी तरह डरा हुआ, वह पहले एक तरफ दौड़ा, तब दूसरी तरफ, इधर उधर सभी दिशाओं में, न जानते हुए कि कहा जाएं। “मां, पिताजी,” वह रो पड़ा। उसकी पीली पगड़ी खुल गई और उसके कपड़े धूल से सन गए।
Having run to and fro ………… laughting and talking.
कुछ देर तक दौड़ने के आवेश में इधर-उधर दौड़ चुकने के बाद, वह हार कर रुक गया, उसका रोना दबकर सिसकियो में बदल गया । कुछ दूरी पर हरी घास पर वह आसुओ से धुंधली आंखों से स्त्री और पुरुषों को बातें करते देख सकता था। उसने कुशलतापूर्वक भड़कीले पीले कपड़ों के धब्बों में देखने की कोशिश की, लेकिन उन लोगों में जो कि बस हंसने व बतियाने के वास्ते ही हंसते वह बातें करते प्रतीत होते थे, उसके पिता और माता का नामोनिशान नहीं था।
He ran quickly ………….. in his arms.
वह फिर से तेजी से दौड़ा, इस बार मंदिर की ओर, जिस ओर लोग भीड़ लगाते प्रतीत होते थे। एक-एक इन्च का स्थान लोगों से ठुसा पड़ा था, लेकिन वह लोगों की टांगों के बीच से होकर दौड़ता रहा, उसकी हल्की सी सिसकी अभी भी बाकी थी, “मां, पिताजी।” मंदिर के प्रवेश द्वार के पास, तो भी, भीड़ बहुत घनी हो गई थी, लोग एक दूसरे को धकेल रहे थे, भारी भरकम लोग, चमकती हुई हत्यारों जैसी आंखों वाले और मजबूत कंधों वाले। बेचारे बच्चे ने उनके पैरों के बीच से मार्ग बनाने के लिए संघर्ष किया, लेकिन उसे उनकी क्रूर आवाजाही में इधर-उधर फेंक दिया। वह पैरों के बीच कुचल गया होता, यदि वह अपनी आवाज की उच्चतम तारता तक न चीखा होता, “पिताजी, माताजी!” उमड़ती भीड़ में से एक व्यक्ति उसका रोना सुना और बड़ी कठिनाई से झुकते हुए उसे अपनी बाहों में उठा लिया।
How did you ………………… my father!
“बच्चे, तुम यहां कैसे पहुंचे? तुम किसके बच्चे हो?” उस व्यक्ति ने पूछा जबकि वह लोग को से बचते हुए निकला बच्चा अब पहले से भी और बुरी तरह रोने लगा, मुझे मेरी मां चाहिए, मुझे मेरे पिताजी चाहिए।”
The man tried ……………. want my father!
उस व्यक्ति ने उसे झूले पर ले जाकर शांत करने की कोशिश की। “क्या तू घोड़े की सवारी करेगा?” उसने प्यार से पूछा जैसे ही वह रिंग तक पहुंचा उस बच्चे का गला हजारों तीव्र सिसकियो में फट पड़ा और वह केवल चीखा, “मुझे मेरी मां चाहिए, मुझे मेरे पिताजी चाहिए!”
वह व्यक्ति उस स्थान की ओर बढ़ा जहां सपेरा अभी भी झूमते नाम के आगे बीन बजा रहा था। “सुंदर संगीत को सुन, बच्चे!” उसने प्रार्थना की। लेकिन बच्चे ने अपने कान अपनी अंगुलियों से बंद कर लिए तथा दोगुनी आवाज में चीखा, “मुझे मेरी मां चाहिए।” आदमी उसे गुब्बारों के पास से यह सोचकर कि गुब्बारों के चमकदार रंग उसका ध्यान बटा देंगे और उसे शांत कर देंगे। “क्या तुझे इंद्रधनुषी रंगों वाले गुब्बारे चाहिए?” उसने आग्रह करते हुए पूछा। बच्चे ने उड़ते गुब्बारों से अपनी आंखें घुमा ले और बस सबका, “मुझे मेरी मां चाहिए, मुझे मेरे पिताजी चाहिए!”
The man, still trying …………….. want my father!
वह व्यक्ति अभी भी बच्चे को खुश करने के लिए, मुख्य द्वार पर ले गया जहां की पुष्प विक्रेता बैठा हुआ था। “देख, क्या तुझे उन सुंदर फूलों की खुशबू आ रही है, बच्चे! क्या तुझे अपने गले में डालने के लिए माला चाहिए?” बच्चे ने अपनी नाक टोकरी में घुसा ली और दोबारा सिसका, “मुझे मेरी मां चाहिए, मुझे मेरे पिताजी चाहिए!”
Thinking to humour ……….. want my father!
उस बच्चे के दुखी आवेश को मिठाई के ऊपर से आनंदित करने का सोचते हुए, व्यक्ति उस बच्चे को मिठाई की दुकान के काउन्टर पर ले गया। कौन सी मिठाई पसंद करेगा बच्चे? उसने पूछा। बच्चे ने अपना चेहरा मिठाई की दुकान से घुमा लिया और केवल सिसका मुझे मेरी मां चाहिए, मुझे मेरे पिताजी चाहिए।