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My Mother at Sixty six Hindi Explanation

My Mother at Sixty six Hindi Explanation

My Mother at Sixty six

Hindi Explanation of the poem – My Mother at Sixty six

Driving from my parent’s
home to Cochin last Friday
morning, I saw my mother,
beside me,
doze-open mouthed, her face
ashen like that
of a corpse

पिछले शुक्रवार की सुबह अपने माता-पिता के घर से कोचीन एयरपोर्ट को कार चलाते समय मैंने अपनी मां को देखा जो मेरे बगल में बैठी हुई थी और मुख खुली हुई हल्की निद्रा में थी और उनका चेहरा मृतक की भांति पीला में दिख रहा था

pain and realised with
that she was as old as she
looked but soon
put the thought away,

और दुख के साथ महसूस किया की वह उतनी ही बूढी़ थी जितनी की वह दिखती थी। परंतु तुरंत ही इस विचार को मैंने सोचना बंद कर दिया।

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and looked out the Young
Trees sprinting, the merry children spilling
out of their homes, but after the airport’s
security check, standing a few yards
away, I looked again at her.

और बाहर तेजी से भाग रहे छोटे-छोटे वृक्षों को तथा अपने घरों से बाहर निकले हुए प्रसन्नचित बच्चों को देखने लगी। लेकिन हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच के बाद कुछ गज की दूरी पर खड़े होते हुए मैंने उन्हें पुनः देखा।

wan,
pale
as a late winter’s moon and felt that
old
familiar ache, my childhood’s fear,
but all I said was,see you soon,
Amma,
all I did was smile and smile and
smile….

वह पिछले जाड़े के मौसम के चंद्रमा की तरह बेरंग की और पीलीमय थी। और मैंने अपनी बचपन की उस पूराने चिर परिचत कष्ट को भी महसूस किया। लेकिन जो कुछ मैंने कहा, वह था अम्मा मैं आपसे जल्द ही मिलती हूं। और जो कुछ मैंने किया वह था केवल मुस्कुराना और मुस्कुराना और मुस्कुराना।

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